Tuesday, August 26, 2008

माफ़ करना पर मैं तुम्हे भुला नहीं था

बहुत दिन बाद आज मैं कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूँ , पर हाथ कांप रहे है और कदम भी लड़खड़ा रहे है। इस डर से की तुम मेरे से नाराज होगे। लेकिन मेरे दोस्त मेरे ब्लॉग मैं तुम्हे भुला नहीं था दरअसल मैं काफी व्यस्त होने और अपना पासवर्ड भूल जाने की वजह से तुम्हे पर्याप्त समय न दे सका। पर यकीं मानों मैं कभी भी तुम्हे भूल नहीं पाया था। आज अचानक ही मेरे मित्र के ब्लॉग पर टिप्पणी देते वक्त तुम मुझसे रूबरू हो गये। मेरे अन्दर थोड़ा डर और थोड़ा प्यार तुम्हे देख कर आ गया और मैं लिखने लगा। अब यकीं मानों मैं तुम्हारा साथ अब कभी नहीं छोडूँगा।